रिपोर्ट- राजवीर सिंह तोमर/परिपाटी न्यूज़ मीडिया, भारत
तिब्बत की रक्षा अगर मौके पर भारत करता तो सन 62 न होता: प्रो सोलंकी
–बीटीएसएस की तीन दिवसीय राष्ट्रीय बैठक का पहला दिन संपन्न
- तिब्बत की स्वतंत्रता हेतु चीन के विरोध में बना सबसे आक्रामक संगठन
- संगठन के पुरे देश में हुए व्यापक विस्तार को सराहा गया
- आगामी दो दिनों में लाये जायेंगे कई महत्वपूर्ण राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रस्ताव
केन्द्रीय वर्चुअल अधिवेशन सभा, पीपीएन। राज्यपाल व भारत तिब्बत समन्वय संघ के केंद्रीय संरक्षक प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा है कि जिस प्रकार पाकिस्तान के अत्याचार से भारत ने मुक्त करा के बांग्लादेश बनवाया था, वैसे ही भारत को 1959 में चीन के हमले से तिब्बत की रक्षा करनी चाहिए थी। तो कम से कम आज भी तिब्बत आजाद रहता और चीन 1962 में भारत पर हमला न कर पाता। हालांकि अब गलती नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत के सांस्कृतिक व धार्मिक संबन्ध हजारों वर्ष पुराने हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चीन की विस्तारवादी नीतियों के कारण दुनिया को तिब्बत जैसी महान सभ्यता और संस्कृति के अस्तित्व से वंचित रहना पड़ रहा है। तिब्बत की स्वतंत्रता भारत की सामरिक व आंतरिक सुरक्षा दृष्टि से आवश्यक है।
भारत तिब्बत समन्वय संघ द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक का पहला दिन आज सम्पन्न हुआ। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म माध्यम से आयोजित की जा रही बैठक में दुनिया भर से सैकड़ों प्रतिनिधि उपस्थित रहे । संघ को शुभकामनाएं देते हुए तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति पेंपा त्सेरिंग ने कहा कि परम पावन दलाई लामा के करुणा और शांति के माध्यम से चल रहे हमारे प्रयासों को सफलता में भारत के ऐसे ही संगठनों का साथ चाहिए। उन्होंने बीटीएसएस की प्रथम राष्ट्रीय कार्यकारिणी के आयोजन को बधाई देते हुए कहा कि केवल 10 माह में इतना विशाल संगठन खड़ा कर लेने पर केंद्रीय तिब्बत प्रशासन आपका अभिनन्दन करता है।
कार्यक्रम की शुरुआत संघ के गीत, सरस्वती वंदना और परम् पावन दलाई लामा की तिब्बती प्रार्थना से हुआ। उसके बाद संघ के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर प्रयाग दत्त जुयाल ने स्वागत उद्बोधन दिया और बताया कि पिछले एक वर्ष में संघ का देश सभी हिस्सों में व्यापक विस्तार हुआ है।
उसके उपरांत संघ के केंद्रीय संयोजक हेमेंद्र प्रताप सिंह तोमर ने पिछले एक वर्ष में संघ की गतिविधियों के बारे में बताया और यह संकल्प दोहराया कि तिब्बत के स्वतंत्र होने तक और कैलाश मानसरोवर की मुक्ति के लिए संघ द्वारा चीन का प्रखर और मुखर विरोध अनवरत जारी रहेगा। संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री नरेंद्र पाल सिंह भदौरिया ने चीन के खतरें के समक्ष देशवासियों को जागरूक और तैयार करने तथा भारत और तिब्बत के बीच परस्पर सहयोग व समन्वय को बढ़ाने में हरसम्भव कदम उठाने पर जोर दिया।
आज के प्रथम सत्र में भारत तिब्बत समन्वय संघ द्वारा प्रकाशित शिवबोधि स्मारिका का भी विमोचन किया गया।
बैठक के अंत में राष्ट्रीय महामंत्री विजय मान ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। बैठक संचालन दिल्ली प्रान्त की सुमित्रा सिंह ने किया। देश विदेश से बैठक में पधारे सैकड़ों प्रतिनिधियों ने बीटीएसएस के इस आयोजन पर बधाई दी।