एक बार एक स्त्री स्नान कर रही थी … तभी संयोग से वहां से बाजीराव पेशवा की सवारी निकल रही थी .. हाथी पर बैठे महाराज बाजीराव पेशवा को घर के अंदर आँगन में स्नान कर रही एक स्त्री का चेहरा गर्दन तक दिख गया … संयोग से स्त्री की नजर भी पेशवा जी से टकरा गयी । महाराज वाजीराव पेशवा जी तत्काल हाथी से नीचे उतर पैदल चलने लगे … साथ चल रहे उनके अंग रक्षक ने हिम्मत जुटा कारण पूछा तो पेशवा जी बोले “अनजाने में मैने एक ब्राह्मण स्त्री की हत्या कर दी …आज के बाद कभी हाथी की सवारी नहीं करुँगा घोड़े की सबारी करुँगा और वास्तव मै थोड़ी देर बाद खबर मिली की उस स्त्री ने लज्जावश प्राण त्याग दिए । ऐसा मर्यादित , गरिमामय जीवन इतिहास रहा है हम हिंदुओं का …अतः आप लोग भले ही आधुनिक रहें लेकिन पूर्वजों की अर्जित की हुई महानता को याद रखें । हमारे वीर सनातनी सम्राट ऐसे ही नहीं हुए ….
हमारे पूर्वजों का त्याग , तपस्या , बलिदान सहित जीवन सदैव पवित्रता पूर्ण मर्यादित गरिमामय रहा है ।
राजवीर सिंह तोमर