स्त्री का अस्तित्व

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लेखक – मुनेश चन्द शर्मा(परिपाटी न्यूज़)

स्त्री के रूप में परिवर्तित यह पृथ्वी ब्रह्मांड में सुशोभित है। जो सभी जीव जन्तुओं का भरण-पोषण कर रही है। सभी लोग ज्ञान वान तथा ध्यान वान एवं धैर्य वान तथा ऊर्जा वान हैं। केवल प्रकृति के कारण हम सब जीव जंतु ऊर्जा वान हैं। प्रकृति स्त्रीलिंग में आती है। जब ईश्वर ने प्रकृति की रचना की तब इसको इतना सुंदर बनाया की हर जीव प्राणी इसको देखकर ला लाइज हो जाता है।

मनुष्य रूप प्राणी प्रकृति का ध्यान नहीं देते हैं। प्रकृति को संवारने के लिए सजाने के लिए शुर्दढ रखने के लिए कोई भी कार्य करने के लिए तैयार नहीं है। पेड़ लगाओ, कम से कम पेड़ों को काटो , पेड़ पौधे ही प्रकृति का सौंदर्य है। इसी प्रकार स्त्री का सौंदर्य करण उसकी वेशभूषा है। हम बात-बात पर स्त्रियों को लज्जित करते रहते हैं।

स्त्रियों के जीवन से हमें कुछ ना कुछ सीखना चाहिए क्योंकि स्त्री भगिनी पत्नी पृथ्वी यह सब स्त्री का ही रूप है। और हम इनके साथ इतनी निर्लज्यता करते हैं। कहीं पर भी किसी समाज में भी स्त्रियों की इज्जत बेज्जती को नहीं देखा जाता और रास्ते में मायके में कहीं पर भी स्त्रियों के साथ करने लग जाते हैं। दुर्व्यवहार जबकि हमारा जीवन स्त्री की ही देन है। यदि संसार में स्त्री नहीं होती भगनी ना होती पत्नी ना होती तो शायद यह संसार भी ना होता स्त्री संस्कार का और संसार का महत्वपूर्ण अंग है।

इसको कभी गिराना नहीं चाहिए, सताना नहीं चाहिए, दुखाना नहीं चाहिए, यही सबसे महत्वपूर्ण बात है। किसी भी स्त्री को मानवता का स्वरूप जानकर प्रधानता दी जाए। तब हम यह समझते हैं। स्त्री संसार में सब से मूल्यवान अंग है।

पत्नी से ज्यादा बहुमूल्य रत्न कुछ भी नहीं हो सकता है। हम सब लोग इसी का ही अस्तित्व है। यह बात प्रधानता से समझकर मन में बैठा कर इसी का सम्मान करना चाहिए। यही हमारी और हमारे देश की ख्याति और अस्तिव है।

मुनेश चन्द शर्मा पत्रकार परिपाटी न्यूज़ मीडिया

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