डॉक्टर नफ़ीस गुलरेज़अंसारी के नेतृत्व मेंदीपावली के अवसर पर नूरपुर में काविय गोष्ठी का आयोजन

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रिपोर्ट- अजमल अंसारी/परिपाटी न्यूज़ मीडिया चाँदपुर

चांदपुर (परिपाटी न्यूज़)। बिजनौर के नूरपुर में कविय गोष्ठी का आयोजन डॉक्टर नफीस गुलरेज अंसारी के नेतृत्व में किया गया। उन्होंने बताया दीपावली रौशनी का त्यौहार है , त्यौहारों का असल पागम मुहब्बत और समाजी भाई चारा क़ायम करना है। यह विचार बी जे पी के नेता एवं आल इंडिया पसमांदा महाज़ उत्तरपरदेश के उपाधियक्ष डॉ0 नफ़ीस गुलरेज़ अंसारी ने अपने अधियक्षीय भाषण में वियक्त किये।

राशिदा पब्लिक स्कूल नूरपुर में दीपावली के अवसर पर आयोजित काव्य गोष्ठी के श्रोताओं को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि व बेसिक शिक्षा परिषद संभल ब्लॉक के हैड मास्टर अश्वनी कुमार यादव ने कहा कि मेरी ज़िन्दगी में यह दीपावली अलग प्रकार की है जब हम मिलकर काविय पाठ का आनंद ले रहे हैं। आज चारों ओर नफ़रत का बाज़ार गर्म है ,इस तरह के प्रोग्राम सदभावना पैदा करने में सहयोगी हैं। समाजी कार्य कर्ता एवं प्रोग्राम के मान्य अतिथि यूसुफ़ क़ुरैशी ने हिन्दू मुस्लिम एकता पर बल देते हुए कहा कि हम सब को ऐसे लोगों से दूर रहना होगा जो समाज को बाँटते हैं। गोष्ठी के आयोजक मौलाना अब्दुल ग़फ़्फ़ार सिद्दीक़ी ने कवियों तथा अतिथियों का अभिनन्दन करते हुए कहा कि साहित्य जीवन को सुन्दर बनाता है अतः इस प्रकार की काव्य बैठकें होती रहना चाहिए। संचालन नौजवान शायर अकरम अली अंसारी ने किया। प्रोग्राम का आरम्भ हाशिम हसीरी व दानिश नूरपुरी ने नअत पेश करके किया। जिन कवियों ने पाठ प्रस्तुत किया उन के नाम इस प्रकार हैं। डॉक्टर नफ़ीस गुलरेज़अंसारी,अली अकरम,दानिश सिद्दीक़ी ,अमित तियागी ,हकीम सईद ,असरार राज़ ,नबील मिकरानी ,यूसुफ़ क़ुरैशी ,हाशिम हसीरी,आरिफ अजमल । श्रोताओं में विशेष तौर पर खबीर अहमद ,हाफ़िज़ इरशाद ,कमर आलम ,हशमुद्दीन ,मुहम्मद यूनुस ,तक़्दीस आलम ,दानिश नदवी ,शेह्ज़ाद मलिक हाजी समी ,फ़रमान साहिल आदि शामिल हुए।
जाने किया चीज़ रख के भूल गए ।
दिल मेरा किस लिए टटोलो हो ।।
नफ़ीस गुलरेज़
काटी हैं किस क़रीने से रिश्तों की डोरियां ।
दस कैंचियों का काम लिया एक ज़ुबान से ।।
अली अकरम
कभी फ़ुर्सत मिले तो आओ बैठो ।
तुम्हारा अपना घर है ये मेरा दिल ।।
दानिश सिद्दीकी
बहुत करता है वो यारों की बातें ।
उसे धोके अभी कुछ कम मिले हैं ।।
नईम राजा
सरहदें बेख़ौफ़ हैं जब तक खड़े हैं हम वहाँ ।
हम गए तो टूटने को चूड़ियाँ रह जाएँ गी ।।
अमित तियागी
इतना बढ़ा दिया है सियासत ने फ़ासला
अपने पराए की भी पहचान कुछ नहीं
असरार राज़
झुलसती फ़स्ल पानी मांगती है ।
ख़ुदा की महरबानी मांगती है ।।
हकीम सईद
दीप चाहत के हर एक दिल में जलाने वाले ।
हम हैं नफरत के अंधेंरों को मिटाने वाले ।।
कुवंर नबील मिकरानी
में तेरे साथ चलना चाहता हूँ ।
नए सांचे में ढालना चाहता हूँ ।।
यूसुफ़ क़ुरैशी
उस गली से वाबस्ता दिल हुआ है अब मेरा ।
जिस गली के नुक्क्ड़ पर उस का आशयना है ।।
हाशिम हसीरी
तेरे सर की क़सम बे वफ़ा मैं न था ।
मुफ़लिसी ने मुझे बे वफ़ा कर दिया ।।
-आरिफ अजमल

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