शिव मंदिर समिति सेक्टर वन भेल में चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा के *चतुर्थ दिवस* भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री जी ने बताया नवरात्रि के चौथे दिन देवी शक्ति के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है।

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पत्रकार -बिक्रमजीत सिंह

हरिद्वार पीपीएन:- 5 अप्रैल 2022* …श्री सनातन ज्ञानपीठ शिव मंदिर समिति सेक्टर वन भेल में चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा के *चतुर्थ दिवस* भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री जी ने बताया नवरात्रि के चौथे दिन देवी शक्ति के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी उस समय चारों तरफ अंधकार था, तब देवी के इस स्वरूप द्वारा ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ। देवी कूष्मांडा अष्टभुजा से युक्त हैं अत: इन्हें देवी

अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है। ये भक्तों के कष्ट रोग, शोक संतापों का नाश करती हैं। शास्त्री जी ने बताया कुष्मांडा माता को मालपुए या फिर कुम्हरे (कद्दू) से बने पेठे का भोग लगाएं। क्योंकि मां कुष्मांडा को यह भोग बहुत प्रिय लगता है !चतुर्थी व्रत की कथा का श्रवण कराते हुए पंडित पवन कृष्ण शास्त्री जी ने महिषासुर मर्दिनी का सुंदर चरित्र वर्णन करते हुए महिषासुर की उत्पत्ति की कथा का श्रवण कराया..शास्त्री जी ने कहा अनादिकाल पूर्व दनु नामक दैत्य जिसके दो पुत्र थे रम्भ एवं करम्भ उनकी कोई संतान नहीं थी इन्होंने जल मैं खड़े होकर हजारों वर्षों तक अग्नि देव जी की तपस्या की उनकी तपस्या को देख कर इंद्र भयभीत हो गया और इंद्र मगरमच्छ का रूप धारण कर करम्भ का वध कर देता हैरम्भ को यह देख बड़ा क्रोध आया और अधिक कठिन तपस्या करते हुए अपने सर को ही काटने लगा उसी समय अग्निदेव जी प्रकट हो गये और वर मांगने को कहारम्भ अग्निदेव से वरदान मांगता है कि मुझे ऐसा पुत्र हो जो सभी देवताओं को पराजित कर सकें अग्निदेव ने कहा कि तुम यहां से जाओ ओर सर्वप्रथम जिस स्त्री पर तुम्हारी दृष्टि पड़ेगी उसी से तुम्हें इच्छित पुत्र की प्राप्ति होगी ।रम्भ वरदान प्राप्त कर के चला एक सरोवर के तट पर एक महिष (भैंस)को देख उस पर आसक्त हो गया उस महिष के द्वारा महिषासुर एवं

रक्तबीज की उत्पत्ति हुई इन दोनों का वध करने के लिए मां भगवती अष्टभुजी रूप धारण करके प्रकट हुई और महिषासुर के साथ विशाल युद्ध किया ।इस युद्ध में महिषासुर को मारकर देवताओं को अभय दान प्रदान किया शास्त्री जी ने कहा जो भी इस कथा का श्रवण करता है एवं अष्टभुजी मां भगवती का पूजन करता है मां उसकी समस्त मनोकामना को पूर्ण कर देती है।चतुर्थ दिवस की कथा के दौरान ब्रिजेश शर्मा तथा मुख्य यजमान आलोक शुक्ला जी व अंजू शुक्ला,राकेश मालवीय,आदित्यगहलोत,रामकुमार,मोहित शर्मा, तेज प्रकाश,दिलीप गुप्ता,विभा गौतम,कुसुम गेरा,राज किशोरी मिश्रा,भावना गहलोत,अलका,सृस्टि,ऋषि अन्नपूर्णा ,सरला, नीतू,पुष्पा आदि उपस्थित रहे

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