देखने के लिए भिक्षुओं को किया विवश। भारत तिब्बत समन्वय संघ ने किया चीनियों का विरोध,
रिपोर्ट-राजवीर सिंह तोमर/परिपाटी न्यूज़ मीडिया।
पीपीएन। चीन की वामपंथी सरकार ने 99 फीट ऊँची बुद्ध की एक प्रतिमा को ध्वस्त कर दिया है। इसी के साथ प्रार्थना के लिए 45 पहियों को भी जमींदोज कर दिया। यह घटना तिब्बत के ड्रैगो में खाम की बताई जा रही है। इस प्रतिमा को बने हुए अभी 6 वर्ष ही हुए थे। बौद्धों के पास इसके जरूरी कागज़ात भी थे। इस मूर्ति का ध्वस्तीकरण 12 दिसम्बर 2021 से शुरू हुआ। इसको तोड़ने में 9 दिन लगे।
इस घटना की पुष्टि रेडियो फ्री एशिया ने की है। उसने इसकी सैटेलाइट तस्वीरों को भी जारी किया है जिसमें पहले एक बड़े सफेद छाते के नीचे खड़ी सफेद मूर्ति अब मलबा बन चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक इस मूर्ति का निर्माण स्थानीय तिब्बती 5 अक्टूबर 2015 को करवाया था। इसमें लगभग $6.3 मिलियन का खर्च आया था। इसके ध्वस्तीकरण को देखने के लिए स्थानीय बौद्धों को मजबूर भी किया गया।
चीनी अधिकारियों ने इसकी अधिक ऊँचाई होने का बहाना बनाया था। जबकि भारत में रह रहे एक बौद्ध के मुताबिक इसका निर्माण पूरे कानूनी दायरे में किया गया था।
भारत तिब्बत समन्वय संघ ने इस घटना को तालिबानी हरकत बताया है। मूर्ति का चित्र अपने फेसबुक पर डालते हुए संगठन के पदाधिकारियों ने लिखा है, “चीन तालिबान के नक्श-ए-कदम पर चल रहा है।
तालिबान द्वारा बामियान में बुद्ध की प्रतिमा को नष्ट करने के बाद चीनी अधिकारियों ने सिचुआन के एक तिब्बती क्षेत्र में भगवान बुद्ध की 99 फुट की प्रतिष्ठित मूर्ति को ध्वस्त कर दिया और तिब्बती भिक्षुओं को यह विनाश देखने के लिए मजबूर किया।”
तिब्बत के बौद्ध निवासियों पर चीनी अधिकारियों और पुलिस का अत्याचार लगातार जारी है। इस ध्वस्तीकरण अभियान के मुखिया का नाम वांग डांग शेंग है। बताया जा रहा है कि इससे पहले वो सिचुआन के लरंग बुद्धिस्ट एकेडमी (Larung Gar Buddhist Academy) को भी ध्वस्त कर चुके हैं। इस अभियान में हजारों बौद्ध भिक्षु बेघर हो गए थे। उनके घरों को भी तोड़ दिया गया था। भारत तिब्बत संबंध में संघ के पदाधिकारियों ने चीन की इस कुकृत्य का विरोध किया है। इसको लेकर एक सभा का आयोजन भी किया गया।