आखिर कौन डाल रहा है बिजनौर के विकास कार्यों में अटकलें ?

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बिजनौर में राजनीतिक अस्थिरता विकास कार्यों में सबसे बड़ी बाधा बनकर उभरी है

जातिवाद और धार्मिक भेदभाव भी विकास कार्यों में कर रहे हैं रुकावट पैदा

लेखक – विक्की जोशी

बिजनौर, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख जिला है, जो अपनी कृषि, उद्योग और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ समय पहले विदुर कुटी आकर अपने संबोधन में कहा था की महात्मा विदुर के आश्रम से एक छोटी सी गंगा की धार निकलेगी वह कार्य भी अभी पूर्ण नहीं हुआ है और उन्होंने कहा था की संस्कृत विद्यालय का निर्माण होगा, वो भी कार्य नहीं हुआ है और अब गंगा एक्सप्रेसवे को बिजनौर से हटाकर किसी दूसरे अन्य जिले में ले जाने की तैयारी चल रही है। इस क्षेत्र में विकास कार्यों में कई चुनौतियाँ और अड़चनें सामने आ रही हैं। विभिन्न कारक इन विकास कार्यों में रुकावट डालने में सफल हो रहे हैं, जिनका विश्लेषण करना आवश्यक है। बिजनौर में

राजनीतिक अस्थिरता विकास कार्यों में सबसे बड़ी बाधा बनकर उभरी है। विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच की प्रतिस्पर्धा और विवाद अक्सर विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में रुकावट डालते हैं। जब भी कोई नया प्रोजेक्ट शुरू होता है, तो उसके पीछे राजनीतिक लाभ की सोच कई बार प्राथमिकता बन जाती है, जिससे वास्तविक विकास कार्य प्रभावित होते हैं। भ्रष्टाचार एक अन्य प्रमुख कारक है जो बिजनौर के विकास कार्यों को प्रभावित कर रहा है। कई बार सरकारी योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो पाता क्योंकि धन का दुरुपयोग किया जाता है। ठेकेदारों और अधिकारियों के बीच मिलीभगत के कारण परियोजनाओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है और विकास कार्य समय पर पूरा नहीं हो पाते। प्रशासनिक स्तर पर भी कई समस्याएँ हैं। अधिकारियों की कमी, प्रशासनिक लापरवाही और समन्वय की कमी जैसे मुद्दे विकास कार्यों में अड़चन डालते हैं। जब प्रशासनिक तंत्र ठीक से काम नहीं करता, तो योजनाओं का सही क्रियान्वयन संभव नहीं हो पाता। बिजनौर की बढ़ती जनसंख्या और अवसंरचना की कमी भी विकास कार्यों में बाधा डालती है। जब जनसंख्या तेजी से बढ़ती है, तो आवश्यक सेवाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन की मांग भी बढ़ती है। लेकिन यदि अवसंरचना समय पर विकसित नहीं होती, तो यह विकास कार्यों को प्रभावित करती है। सामाजिक मुद्दे जैसे जातिवाद, धार्मिक भेदभाव और आर्थिक विषमताएँ आदि भी विकास कार्यों में रुकावट डालने में सफल हो रहे हैं। जब समुदायों के बीच तनाव होता है, तो विकास योजनाओं का लाभ सभी वर्गों तक नहीं पहुँच पाता। अधिकांश लोग सरकारी योजनाओं और उनके लाभों के प्रति जागरूक नहीं होते। यदि जनता को योजनाओं के बारे में जानकारी नहीं होती, तो वे उनका लाभ नहीं उठा पाते। इस जागरूकता की कमी के कारण कई विकास कार्य अधूरे रह जाते हैं। बिजनौर के विकास कार्यों में अड़चनें डालने वाले कारकों का विश्लेषण करने से यह स्पष्ट होता है कि यह एक जटिल समस्या है, जिसमें राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक पहलुओं का समावेश है। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।