यह स्थिति इस बात का संकेत देती है कि कैसे धार्मिक स्थलों की देखभाल में राजनीतिक दृष्टिकोण का प्रभाव पड़ता है। स्थानीय प्रशासन और सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। धार्मिक स्थलों की देखभाल और संरक्षण केवल एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं होना चाहिए, बल्कि यह समाज की जिम्मेदारी होनी चाहिए।
संवाददाता- विक्की जोशी
बिजनौर (परिपाटी न्यूज) दारानगर गंज, वैसे तो भाजपा सरकार मंदिरों का निर्माण बड़े-बड़े स्तरों पर कर रही है लेकिन बात करें महात्मा विदुर की नगरी की तो वहां पर कार्य के नाम पर लीपा पोती चल रही है। स्थानीय श्रद्धालुओं और भक्तों का कहना है कि इस मंदिर को केवल तब सजाया जाता है जब प्रदेश के मंत्री या अन्य उच्च अधिकारी यहाँ आते हैं। महात्मा विदुर की कुटी से पौराणिक चीज भी अब विलुप्त होने लगी है जैसे की बथुआ का साग किसी की अनदेखी से विलुप्त हो चुका है। यह स्थिति न केवल मंदिर की धार्मिक महत्ता को कम कर रही है, बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास को भी प्रभावित कर रही है। विदुर कुटी मंदिर, विदुर के नाम पर स्थापित है, जो कि महाभारत में एक महत्वपूर्ण पात्र हैं। जब परीपाटी न्यूज़ के संवाददाता ने एसडीएम बिजनौर से बात करनी चाहिए तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। विदुर को अपनी बुद्धिमत्ता और न्यायप्रियता के लिए जाना जाता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और इतिहास का भी प्रतीक है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब भी कोई मंत्री या नेता यहाँ आता है, तो मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है। फूलों की सजावट, दीप जलाना और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
लेकिन जब कोई राजनीतिक गतिविधि नहीं होती, तो मंदिर की देखभाल और सजावट दिखाई नहीं देती है । यह बहुत दुखद है कि हमारे पवित्र स्थल की देखभाल केवल नेताओं की उपस्थिति पर निर्भर करती है। हमें अपने धार्मिक स्थलों की नियमित देखभाल करनी चाहिए, चाहे कोई नेता आए या नहीं। विदुर कुटी मंदिर जैसे ऐतिहासिक स्थलों की नियमित देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता है। सरकार को करना चाहिए कि वह इन स्थलों की महत्ता को समझे और उनकी देखभाल के लिए उचित कदम उठाए। स्थानीय प्रशासन को भी इस दिशा में सक्रिय होना चाहिए ताकि श्रद्धालुओं को एक बेहतर अनुभव मिल सके। विदुर कुटी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। विदुर कुटी मंदिर, जो कि भारतीय महाकाव्य महाभारत से जुड़ा एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, इसे सजाने और संरक्षित करने की जिम्मेदारी केवल नेताओं पर नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों पर है। इस प्रकार, विदुर कुटी मंदिर का संरक्षण और देखभाल न केवल स्थानीय समुदाय के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम अपने धार्मिक स्थल की देखभाल करें।