दशकों बाद महिला चिकित्सालय चांदपुर का भाग्य उदय होने की संभावना जगी है

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रिपोर्ट मुनेश चन्द शर्मा

बिजनौर परिपाटी न्यूज चांदपुर के महिला चिकित्सालय के भाग्य उदय होने की आज फिर आशा की किरण जगने लगी है। क्योंकि यह महिला चिकित्सालय दशकों से अपने हाल पर आंसू बहा रहा था ।परंतु अरुण कुमार अग्रवाल ने इस पर कार्यवाही करने के लिए जिला अधिकारी से वार्तालाप की और उन्होंने आश्वासन भी दिया की महिला चिकित्सालय का जल्दी से जल्दी जीर्णोद्धार कराया जायेगा और उस पर कार्य भी आरंभ हो गया है ।जैसे अस्पताल का बाहरी दरवाजा लग चुका है। और वहां पर दशकों बाद एक एम बी बी एस डाक्टर की नियुक्ति की गई है ।जिनके आने के बाद अस्पताल में साफ सफाई और मरीजों की देखरेख बहुत अच्छी प्रकार से की जा रही है ।डॉ प्रशांत काकरान महिला

चिकित्सालय प्रभारी के रूप में उनकी तैनाती की गई है। डॉक्टर का मरीज के प्रति अच्छा स्वभाव देखा गया है एवं मरीज के लिए सुबह से शाम तक वह वहां पर हर समय उपलब्ध रहते हैं तथा तन मन धन से मरीजो के लिए कार्यरत है ।यह महिला चिकित्सालय साहू बंशीधर ने आठ बीघे जमीन दान कर महिला चिकित्सालय का निर्माण कराया गया महिला चिकित्सालय के लिए यह जमीन दिनांक 9 अगस्त 1942 को दान की गई थी ।इसका शिलान्यास खान बहादुर सैयद अहमद अली मजिस्ट्रेट ने किया था ।और सन 1944 में इसका उद्घाटन किया गया शहर के गरीबों का इलाज एवं बच्चों का जन्म यहां पर कराया जाता था परंतु दशकों से यह अस्पताल बदहाली के आंसू बह रहा था आज जब हमने अस्पताल में जाकर देखा तो हमारी मुलाकात डॉक्टर काकरान से हुई उन्होंने हमें बताया कि मैं यहां पर तन मन से मरीजों के लिए हर समय तैयार रहता हूं ।और वहां पर स्वच्छता को भी देखा गया इंस्ट्रूमेंट भी वहां पर लगे थे ।और एक महिला पेशेंट को ड्रिप भी लगाई जा रही थी ।यह सारी जानकारी उपलब्ध होने के बाद जनता ने भी बताया कि अब यहां पर यह अस्पताल बढ़िया चलने लग जाएगा और जिस प्रकार नगर पालिका के लोग अस्पताल की जमीन पर कब्जा करना चाहते थे और गाड़ियां फोर व्हीलर इधर-उधर के लोग वहां पर खड़े कर जाते थे। अब उन पर भी प्रतिबंध लग गया है ।लेकिन शासन प्रशासन से जनता का अनुरोध है कि यहां पर जो यह गहरे गड्ढे दोनों ओर हो रहे है ।बीच में पक्की रोड है इन गड्ढों को भी समतल कराया जाए ताकि यहां पर जल भराव न हो सके बरसात होने पर पूरे अस्पताल में जल भराव हो जाता है ।जिसके कारण मरीज एवं कर्मचारियों को भी आने-जाने में असुविधा हो जाती है। क्योंकि वहां पर कम से कम घुटनों घुटनों पानी भर जाता है ।ऐसे में मरीज अथवा कर्मचारी अंदर कैसे जाए अंदर से कैसे बाहर आए इसलिए सभी लोग यह चाहते हैं की महिला चिकित्सालय के प्रांगण का भराव कर दिया जाए ताकि बरसात होने पर वहां जल भराव न हो सके।