रिपोर्ट-राजवीर सिंह तोमर/ परिपाटी न्यूज़ मीडिया, देहरादून।
देहरादून पीपीएन। भारत – तिब्बत समन्वय संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व वाइस चान्सलर प्रोफ़ेसर ( डॉ०) प्रयाग दत्त जुयाल जी की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें केन्द्रीय तिब्बत प्रशासन की ओर से धनदुप्प ग्यालपो ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई । उन्होंनें कहा कि सदा से ही भारत और तिब्बत के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों में सदभाव एवं समन्वयता रही है। आज उन सम्बन्धों को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
बैठक में मुख्य रूप से परम पावन दलाई लामा जी द्वारा तिब्बती लोगों की जनसंस्कृति को अक्षुण्ण एवं संरक्षित रखने के प्रयासों के संदर्भ में ,32 वर्ष पूर्व उन्हें मिले नोबेल शांति पुरस्कार के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे आज अर्न्तराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर विश्व स्तर पर प्रयास करने की चर्चा हुई।
प्रो० प्रयागदत्त जुयाल ने कहा कि तिब्बत से जुड़ी सभी समस्याओं में भारत हमेशा से एक गुरू एवं मार्गदर्शक की भूमिका में रहा है।
कर्नल ए॰ आर॰ मनहास ने कहा कि भौगोलिक स्थितियों के परिवेश में तिब्बत की आजादी भारत की सुरक्षा की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है ।
डॉ० जी० एस० नेगी ने कहा कि भारत तिब्बत समन्वय संघ तिब्बत से जुड़े सभी प्रस्तावों को भारत सरकार के समक्ष रखेंगें ।
शिक्षा जगत के अत्यंत मान्य स्तम्भ डॉ॰ अशोक कुमार ने कहा कि तिब्बती युवाओं के शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार से जुड़ी मूलभूत जरूरतों पर व्यापक सहयोग एवं समझ की आवश्यकता है।इस बैठक में संघ ने, तिब्बत जनों पर हो रहे अत्याचार तथा शोषण की कड़े शब्दों में निन्दा की।
इस अवसर पर भारत के प्रथम सी डी एस जनरल बिपिन रावत के असामयिक निधन पर सभी उपस्थित कार्यकर्ताओं ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की , एवं उनके निधन को देश के लिए अपूरणीय क्षति बताया ।